उत्तराखंड कांग्रेस में क्यों मचा बवाल, हरीश रावत ही नहीं प्रदेश अध्यक्ष भी नाराज
उत्तराखंड कांग्रेस में क्यों मचा बवाल, हरीश रावत ही नहीं प्रदेश अध्यक्ष भी नाराज
हल्द्वानी : जुलाई में कांग्रेस ने उत्तराखंड में बड़ा बदलाव करते हुए प्रदेश अध्यक्ष बदलने के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त कर दिए थे। जबकि चुनाव से पहले पार्टी से किसी भी नेता को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की पैरवी में जुटे पूर्व सीएम हरीश रावत को चुनाव अभियान संचालन समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
शीर्ष नेतृत्व के निर्णय से हरीश रावत खेमे को लगा कि प्रचार से लेकर अन्य अहम निर्णयों में उन्हीं की चलेगी, लेकिन सितंबर में खटीमा से शुरू हुई परिवर्तन यात्रा के रामनगर पहुंचते ही क्षत्रपों की राह जुदा हो गई है। हाल में रामनगर के मालधन और भीमताल विधानसभा क्षेत्र में भी यह देखने को मिला। सूत्रों की मानें तो दिल्ली से आ रहे नेताओं के रुख से भी हरदा खेमा खुश नहीं है। वहीं, कुछ लोग कांग्रेस के इस प्रकरण को दबाव की राजनीति का हिस्सा भी मान रहे हैं।
2017 में सत्ता से विपक्ष में पहुंचते ही कांग्रेस के अंदर गुटबाजी का दौर शुरू हो गया था। जिसका खामियाजा तब प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह को भी भुगतना पड़ा। इसके बाद देवेंद्र यादव को प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी मिली। जुलाई में हाईकमान ने बड़ा फेरबदल करते हुए गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। जबकि नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश के निधन के चलते यह जिम्मा प्रीतम सिंह को मिल गया। हालांकि, कार्यकारी अध्यक्षों के चयन को लेकर भी हरदा और विरोधी खेमे के दिल नहीं मिल सके। नई टीम के गठन के बाद पहली गुटबाजी रामनगर में दिखी।
जहां परिवर्तन यात्रा में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत का रथ पूर्व सीएम हरीश रावत से अलग नजर आया। वहीं, हाल में मालधन और भीमताल विधानसभा क्षेत्र में हरीश रावत के कार्यक्रम करने के बाद प्रीतम और रणजीत रावत भी रैली को पहुंच गए। जबकि हरीश रावत के करीबी नेता चाहते हैं कि चुनावी रणनीति चुनाव अभियान संचालन समिति के मार्गदर्शन में ही बने। वहीं, एक के बाद एक हुए इन घटनाक्रमों ने दूरियों को और बढ़ा दिया।
नुमाइंदे उत्तराखंड या दिल्ली के
कभी स्पष्ट तो कभी इशारों में अपनी बात कहने वाले हरीश रावत ने पोस्ट पर लिखा कि जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदें मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। यहां जिक्र कांग्रेस हाईकमान का हो रहा है। हालांकि सवाल खड़ा होता है कि यह नुमाइंदें स्थानीय हैं या दिल्ली से आए हुए। विधानसभा, जिलेवार एआइसीसी के पर्यवेक्षकों से रिपोर्ट तैयार कराने के बाद हाल में स्क्रीनिंग कमेटी ने भी दावेदारों की क्लास ली थी। जिसमें संचालन समिति अध्यक्ष हरीश रावत से लेकर प्रदेश के अन्य कांग्रेसी नेताओं को दूर ही रखा गया।